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कविता

सत्य

मुंशी रहमान खान


सत्‍य अटल है जगत महं सत्‍य धर्म का खंभ।
सत्‍य की दसी लक्ष्‍मी सत्‍य बंधे सुरब्रह्म।।
सत्‍य बंधे सुर ब्रह्म सत्‍य से ईश्‍वर राजी।
सत्‍य सरवरी तप नहीं सत नहिं हारै बाजी।।
कहैं रहमान स्‍वर्ग है सत से देवै नर्क असत्‍य।
भव सागर तरना चहहु उर धारहु नित सत्‍य।।

 


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